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द गर्ल इन रूम 105

मैं सौरभ की तरफ मुड़ा और कहा, 'तुम्हें नहीं लगता, ये भाईजान हमसे कुछ छुपा रहे हैं यकीनन यह हमसे कुछ छुपा रहा है,' सौरभ ने कहा।


खाली कप नाच उठे।

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"मैंने आपा को नहीं मारा, ठीक है?' सिकंदर ने इतनी जोर से मेज़ पर मुक्का मारते हुए कहा कि कहवा कहा।

ऐसी हरकते करने से तुम बेगुनाह साबित नहीं हो जाओगे, ' मैंने "और ना ही हमें बंदूक दिखाकर डराने से। अगर हमें कुछ भी हुआ तो दिल्ली में मौजूद मेरे दोस्त ये तमाम

सबूत पुलिस को सौंप देंगे, ' सौरभ ने कहा। ये कहानी हमने खुद को सुरक्षित रखने के लिए गड़ ली थी।

"तुम आज फिर कोई हथियार लेकर आए हो?' मैंने कहा। सिकंदर उठ गया और अपने हाथ उठा दिए। चाहो तो देख लो। मेरे पास कुछ भी नहीं है। मेन मार्केट में आर्मी लोगों की जांच करती है। मैं इतना भी

मूर्ख नहीं हूँ।"

"गुड तो अब बैठ जाओ और हमें बताओ कि शारा की सेफ में यह सब क्यों था।"

सिकंदर ने दाएं-बाएं देखा। हमारे सबसे क़रीब वाला कस्टमर भी कम से कम दो टेबल छोड़कर बैठा था।

उसने जल्दी से कहा 'हां, मैंने गलत बातें की हैं, लेकिन मैंने जारा आपा को कभी कोई चोट नहीं पहुंचाई।' "अगर तुमने कुछ नहीं किया है तो समझ लो कि तुम्हारे राज़ हमारे पास सहेजे हुए हैं।"

*मैं हाशिम अब्दुल्ला के लिए काम करता हूं। मुझे यक़ीन है, तुम इस नाम को जानते होगे। सिकंदर ने कुछ इस अंदाज़ में कहा, जैसे उसने किसी बिल गेट्स या मुकेश अंबानी का नाम ले लिया हो।

'मैं नहीं जानता, ये कौन है।""

"बो तेहरीक-ए-जिहाद के मुखिया है। उन्होंने मुझे ज़िंदगी जीने की एक वजह दी है। उन्होंने मुझे सिखाया

कि शिद्दत के साथ जीना क्या होता है। हाशिम भाई मेरे लिए सब कुछ हैं।"

मैं उससे कहना चाहता था कि निर्दोष लोगों को मारना या अपने मुल्क से नफरत करना जिंदा रहने की कोई बहुत अच्छी वजह तो नहीं कही जा सकती है। लेकिन मुझे अपनी कसम याद आई कि मुझे पॉलिटिक्स पर

बात नहीं करनी है, इसलिए मैं चुप रहा। "हाशिम भाई आजाद कश्मीर में रहते हैं, सिकंदर ने कहा।

'तुम्हारा मतलब है पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर?" सौरभ ने कहा । "हां, इंडियन प्रोपगंडा तो यही कहता है। जबकि हकीकत यह है कि अभी हम जहां रह रहे हैं, वो इंडिया के

कब्जे वाला कश्मीर है।"

नो पॉलिटिक्स, मैंने एक बार फिर खुद को याद दिलाया। 'रहने दो, मैंने कहा 'और अपनी कहानी सुनाना जारी रखो।'

करने "मैंने तेहरीक़ में एक जूनियर सिपाही के रूप काम शुरू किया था। हाशिम भाई ने मुझे कुछ बड़ा काम का मौका दिया। लेकिन तभी मुझसे एक भूल हो गई।'

कैसी भूल?" सौरभ ने कहा।

"मैंने जारा आपा को धोखा दिया।'

‘साफ़-साफ़ बताओ,' मैने कहा। मैं सोच रहा था कि सिकंदर सचमुच में ही कम दिमाग़ वाला है, या बो

केवल ऐसा दिखावा करता है।

"हाशिम भाई ने कहा कि वो कराची में ऐसे लोगों को जानते हैं, जो लिट्टेचर फेस्टिवल करवा रहे थे। उन्होंने

कहा कि वे इंडिया से कुछ लोगों को बुलाना चाहते हैं, खासतौर पर ब्राइट स्टूडेंट्स को मैं तो वहां जा नहीं पाया। हाशिम भाई का कहना था कि मेरे पासपोर्ट पर पाकिस्तानी सील ठप्पे जितने कम लगे हों, उतना ही अच्छा

होगा। फिर उन्होंने पूछा कि क्या मेरी नज़र में कोई है।' "और तुमने जारा का नाम बता दिया?"

"हो। जारा आपा को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। वे इंडिया में बहुत सारे लिट्रेचर फेस्टिवल्स में जाती

रहती थीं। मैंने उनसे पूछा। ऑर्गेनाइजर लोग उनकी फ्लाइट और स्टे का पैसा चुकाने के लिए तैयार थे, क्योंकि उन्होंने कहा कि वो सभी ब्राइट स्टूडेंट्स के लिए ऐसा कर रहे थे। आपा फ़ौरन इसके लिए राजी हो गईं।'

'और इसलिए वो पाकिस्तान गई थी?"

'हां कराची में हाशिम भाई उनसे मिले। उन्होंने मुझे कुछ तोहफ़े भेजे। फिर उन्होंने जारा आपा को एक छोटी-सी अटैची में कपड़े और खाने-पीने की चीजें दीं।'

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